मुख्य न्यायाधीश का पदभार संभालते ही जस्टिस संजीव खन्ना ने वकीलों को खास हिदायत दे दी है. मंगलवार (12 नवंबर, 2024) को उन्होंने कहा कि मामलों को तत्काल सूचीबद्ध करने और उन पर सुनवाई के लिए मौखिक उल्लेख करने की अनुमति नहीं दी जाएगी l वकीलों से इसके लिए ईमेल या लिखित पत्र भेजने का आग्रह किया है l आमतौर पर वकील दिन की कार्यवाही की शुरुआत में मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली बेंच के सामने अपने मामलों पर तत्काल सुनवाई के लिए उनका उल्लेख करते हैंl
सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा, ‘अब कोई मौखिक उल्लेख नहीं होगा. केवल ईमेल या लिखित पर्ची/पत्र में ही होगा. बस, तत्काल सुनवाई की आवश्यकता के कारण बताएं.’ सीजेआई संजीव खन्ना ने न्यायिक सुधारों के लिए नागरिक-केंद्रित एजेंडे की रूपरेखा तैयार की है और कहा है कि न्याय तक आसान पहुंच सुनिश्चित करना और नागरिकों के साथ उनकी स्थिति की परवाह किए बिना समान व्यवहार करना न्यायपालिका का संवैधानिक कर्तव्य है l
सुप्रीम कोर्ट ने एक बयान में कहा कि मुख्य न्यायाधीश का उद्देश्य एक आत्म-मूल्यांकन दृष्टिकोण अपनाना है जो अपने कामकाज में फीडबैक के प्रति ग्रहणशील और उत्तरदायी हो l इसमें कहा गया है, ‘नागरिकों के लिए फैसलों को समझने योग्य बनाना और मध्यस्थता को बढ़ावा देना भी प्राथमिकता में होगा.’ आपराधिक मामलों के प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करते हुए, सीजेआई संजीव खन्ना ने मुकदमे की अवधि को कम करने, एक व्यवस्थित दृष्टिकोण अपनाने और यह सुनिश्चित करने को प्राथमिकता देने का संकल्प लिया कि नागरिकों के लिए कानूनी प्रक्रियाएं कठिन न हों l उन्होंने विवादों का प्रभावी तरीके से समाधान निकालने और समय पर न्याय प्रदान करने के लिए मध्यस्थता को बढ़ावा देने के महत्व पर भी प्रकाश डाला l