उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को डॉ. बीआर अंबेडकर का हवाला देते हुए कहा कि ‘अगर राजनीतिक पार्टियां देश से ऊपर धर्म को रखेंगी तो हमारी आजादी दूसरी बार खतरे में पड़ जाएगी।’ मंगलवार को संविधान दिवस के मौके पर संसद के सेंट्रल हॉल में आयोजित कार्यक्रम के दौरान उपराष्ट्रपति ने चेतावनी देते हुए कहा कि देश की लोकतांत्रिक संस्थाओं के खतरे के लिए रणनीति के तहत अशांत माहौल बनाया जा रहा है।
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि ‘लोगों की प्रभावी ढंग से सेवा करने के लिए रचनात्मक संवाद, बहस और सार्थक चर्चा के माध्यम से हमारे लोकतांत्रिक मंदिरों की पवित्रता को बहाल करने का समय आ गया है।’ संविधान ने लोकतंत्र के तीन स्तंभों – विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका को बनाया है, जिनमें से प्रत्येक की भूमिका परिभाषित है। धनखड़ ने कहा, ‘लोकतंत्र का सबसे अच्छा पोषण तब होता है जब इसकी संवैधानिक संस्थाएं अपने अधिकार क्षेत्र का पालन करते हुए तालमेल और एकजुटता से काम करें।’
उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘हमारा संविधान मौलिक अधिकारों का आश्वासन देता है और मौलिक कर्तव्यों का निर्धारण करता है। ये सूचित नागरिकता को परिभाषित करते हैं। डॉ. अंबेडकर ने चेतावनी दी थी कि आंतरिक संघर्ष, बाहरी खतरों से अधिक, लोकतंत्र के लिए खतरनाक हैं। हमें अपने मौलिक कर्तव्यों जैसे राष्ट्रीय संप्रभुता की सुरक्षा, एकता को बढ़ावा देना, पर्यावरण सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता आदि के प्रति भी प्रतिबद्ध होना चाहिए। हमें हमेशा अपने देश को सर्वोपरि रखना चाहिए।’