लखनऊ विश्वविद्यालय के योग विभाग, फैकल्टी ऑफ योग एंड अल्टरनेटिव मेडिसिन के संयुक्त तत्वाधान में ध्यान का दर्शन एवं विज्ञान विषय पर योग हाल में संगोष्ठी एवं ध्यान शिविर का आयोजन किया गया ।
फैकल्टी के को-ऑर्डिनेटर डॉक्टर अमरजीत यादव ने कहा कि भारत सरकार के प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा प्रतिवर्ष 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस मनाने का अनुमोदन प्रदान किया गया है। डॉक्टर यादव ने कहा कि ध्यान भारतीय परंपरा की अनमोल सौगात है। ध्यान के अभ्यास से व्यक्ति का शारीरिक एवं मानसिक विकास होता है। ध्यान को मूड मैनेजर कहा जाता है, क्योंकि ध्यान के अभ्यास से शरीर में सेरोटोनिन हार्मोन बढ़ता है परिणाम स्वरुप जीवन में आनंद एवं प्रसन्नता का भाव उत्पन्न होता है। ध्यान के अभ्यास से स्ट्रेस तथा उच्च रक्तचाप नियंत्रित होता है और कार्टिसोल एवं एड्रीनलीन हारमोंस को ध्यान नियंत्रित करता है।
कॉर्टिसोल और एड्रीनलीन हारमोंस की शरीर में मात्रा अधिक होने से उच्च रक्तचाप, तनाव, डिप्रेशन बढ़ जाता है। शरीर को तरोताजा एवं युवा बनाए रखने के लिए सभी को प्राणायाम करना चाहिए। ध्यान के अभ्यास से शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता भी बढ़ती है। व्यक्ति की जितनी आयु है उतने मिनट प्रतिदिन व्यक्ति को ध्यान का अभ्यास करना चाहिए।
अधिष्ठाता प्रोफेसर अशोक कुमार सोनकर ने कहा कि ध्यान को जीवन का अभिन्न अंग बनाना चाहिए जिसके कारण व्यक्ति में एकाग्रता बढ़ती है। योगाचार्य श्री के. के. शुक्ला ने ध्यान शिविर में प्राचीन पद्धतियों को अपनाते हुए सबको ध्यान का अभ्यास कराया।
इस अवसर पर डॉ उमेश कुमार शुक्ला, डॉक्टर रामनरेश, डॉक्टर रामकिशोर, शोभित सिंह तथा योग संकाय के शिक्षक एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।