लखनऊ विश्वविद्यालय के योग विभाग, फैकल्टी ऑफ योग एंड अल्टरनेटिव मेडिसिन के संयुक्त तत्वाधान में भारत रत्न स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी, पूर्व प्रधानमंत्री भारत सरकार के जन्म जयंती के अवसर पर काव्य पाठ , योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसका शीर्षक उत्तर प्रदेश में योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा की वैधानिकता था। प्रोफेसर रमाकांत सिंह, पूर्व कुलपति यस. वी.यस. विश्वविद्यालय देहरादून उत्तराखंड थे।
समारोह की अध्यक्षता प्रख्यात योग गुरु राजेश कुमार द्विवेदी ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रोफेसर वी .पी. मिश्रा, विभागाध्यक्ष बायोकेमेस्ट्री विभाग राजकीय मेडिकल कॉलेज बहराइच थे। मुख्य अतिथि प्रोफेसर रमाकांत सिंह ने बताया कि योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा भारत का प्राचीन विज्ञान है यह विज्ञान व्यक्ति के स्वास्थ्य का संरक्षण करता है। इसमें रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। योग प्राकृतिक चिकित्सा में आधुनिक जीवन शैली के कारण उत्पन्न होने वाली बीमारियों का बचाव एवं उपचार संभव है।
संकाय के को-आर्डिनेटर डॉ अमरजीत यादव ने बताया कि योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा उत्तर प्रदेश में चिकित्सा पद्धति के रूप में मान्यता प्राप्त है। उन्होंने यह भी बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इस विज्ञान के विकास के लिए सकारात्मक प्रयास किये जा रहे हैं। डॉक्टर यादव ने कहा कि माननीय उच्च न्यायालय खंडपीठ लखनऊ में मेरे द्वारा दायर रिट याचिका इंडियन एकेडमी ऑफ नेचुरोपैथी इन योग बनाम उत्तर प्रदेश राज्य व अन्य में पारित आदेश के अनुपालन के क्रम में योग एवं नेचुरोपैथी विधा के विकास हेतु महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय गोरखपुर की स्थापना संबंधी अधिनियम राज्य आयुष विश्वविद्यालय अधिनियम 2020 प्रदेश सरकार द्वारा प्राख्यापित किया गया है।
कार्यक्रम में डॉक्टर रामकिशोर, कैलाश कुमार, तथा योग फैकल्टी के छात्र – छात्राएं एवं इंडियन योग फेडरेशन के सदस्य गण उपस्थित थे। कार्यक्रम के दौरान समस्त प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र का वितरण किया गया। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती मोनिका सिंह के द्वारा किया गया।