उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ-2025 का आयोजन हो चूका है . देश ही नहीं दुनिया के कोने-कोने से सनातन की इस परंपरा में आस्था रखने वालों का त्रिवेणी के संगम पर खूबसूरत जमघट लग रहा है . यह वह हुजूम है जो एक साथ एक ही समय में नदी की धारा में डुबकी लगा रहा है और हर डुबकी के साथ होने वाला हर-हर गंगे का उद्घोष एकता का संचार करेगा.
वहीँ कई ऐसे चेहरे हैं जिन्हें महाकुम्भ के पहले कोई नहीं जानता था लेकिन आज वो चेहरे वायरल हैं और मीडिया का हिस्सा बने हुए हैं हम बात कर रहे हैं इन्हीं चेहरे में से मोनालिसा की वो अपनी खूबसूरत भूरी-भूरी आंखों के लिए लोकप्रिय हुई हैं, ये चेहरा इतना सोशल मीडिया पर वायरल हुआ की उन्हें फिल्म में लीड रोल का ऑफर तक मिल गया इसी के बीच यूपी के जाने माने रचनाकार किशन लाल शाह नें बहुत ही सुंदर कविता लिखी कविता से पहले रचनाकार का परिचय से आप सभी को रु बरु कराते हैं

लेखक किशन लाल शाह का जन्म लखनऊ में हुआ है उनकी शिक्षा बी०ए०, एम० म्यूज (संगीत निपुण), डिप्लोमा-पत्रकारिता एवं जनसंचार, प्रशिक्षण पाठ्यक्रम वृत्तचित्र फिल्म निर्माण किशनलाल जी नें जवाहर नवोदय विद्यालय आज़मगढ़, फैजाबाद, इटावा में वायलिन वादक, संगीतकार, लेखक एवं कवि पूर्व संगीत शिक्षकमें अपनी सेवा दी है उन्हें उत्तरप्रदेश के कई बड़े मंचों पर सम्मान से नवाजा जा चूका है
लेखक द्वारा लिखी गई कविता

तक़दीर में ऐसा लिखा है
कभी सोचा न था
मैं मोनालिसा
इक दिन बनूँगी राजा की रानी
लिखेगा कोई मेरी भी कहानी
कभी सोचा ?
सोलह बरस की बाली उमर
न थी किसी को मेरी ख़बर
इन्दौर में खेलते हुए
हाथों में माला बेचते हुए
मैं, अब बड़ी हो गयी
पैरों पर अपने खड़ी हो गयी ।
इक दिन की बात है
शिवरात्रि की वो रात है
मन में अरमान लिए
प्रभु का सामान लिए
मैं, मन्दिर को निहारती
भगवान शिव को पुकारती
भीगी नम आँखों से
मासूमियत भरी बातों से
बोली , हे शिव महाकाल
इस बसंत को तू अब न टाल
भेज कोई मेरे लिए भी इक लाल।
ऐसा बोलते हुए
गहराई से सोचते हुए
जाने क्यों , मुझे
महाकुम्भ याद आया है
शायद शिव ने ही
मुझे यह बताया है
फिर क्या था
ढेर-सी मालायें बटोरकर
इन्दौर को छोड़कर
प्रयाग संगम आ गयी मैं
जल्द ही , लोगों के बीच छा गयी मैं।
लोगों के झुन्ड में
प्रयाग महाकुम्भ में
माला बेचते हुए
भीड़ को देखते हुए
मैं नादान, हुई परेशान
इक ओर सेल्फी लेने वालों की भीड़ थी
वहीं , कुछ कैमरा मैन कुछ कहना चाहते थे
साथ मेरे थोड़ी देर रहना चाहते थे।
पर मैं अन्जान
मुझे यह न मालूम था
मेरी सादगी भरी , मासूमियत बातों के
दुनिया की सबसे सुन्दर मेरी आँखों के
ये दीवाने मेरे परवाने
मुझे कहाँ ले जायेंगे
कभी सोचा ?