लखनऊ विश्वविद्यालय के योग विभाग,फैकल्टी ऑफ योग एंड अल्टरनेटिव मेडिसिन के तत्वाधान में फैकल्टी के योग सभागार में द्वितीय दिवस पर उज्जायी, सूर्यभेदी और चंद्रभेदी प्राणायाम सत्र का आयोजन किया गया। योग विशेषज्ञ कृष्ण कुमार शुक्ल द्वारा सूर्यभेदी और चंद्रभेदी प्राणायाम का सत्र लिया गया,योगाचार्य ने बताया कि सूर्यभेदी प्राणायाम शरीर में गर्मी पैदा करता है शरीर में ऑक्सीजन लेवल को संतुलित करता है तथा चंद्रभेदी प्राणायाम शरीर में शीतलता प्रदान करता है जिससे एसिडिटी और खट्टी डकार में राहत मिलती है।
संकाय के-कोआर्डिनेटर डॉ अमरजीत यादव ने बताया कि 28 फरवरी 2025 को दोपहर में कार्यशाला का समापन सत्र होगा। डॉक्टर यादव ने यह भी कहा कि प्राणायाम का मुख्य उद्देश्य ऑटोनॉमस नर्वस सिस्टम पर नियंत्रण स्थापित करना तथा इसके माध्यम से मानसिक कार्यों को प्रभावित करना है।
हाई ब्लड प्रेशर के रोगी को सूर्यभेदी प्राणायाम से बचना चाहिए जो लोग डिप्रेशन में रहते हैं उनको सूर्यभेदी प्राणायाम का अभ्यास अवश्य करना चाहिए वहीं जिन लोगों का ब्लड प्रेशर बढ़ा रहता है उन्हें चंद्रभेदी प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए। उज्जायी प्राणायाम का सत्र योग विशेषज्ञ किशोर कुमार शुक्ला ने लिया उन्होंने बताया कि इस प्राणायाम का अभ्यास करने से थायराइड में विशेष लाभ मिलता है। द्वितीय सत्र में डॉक्टर उमेश कुमार शुक्ला ने कहा कि प्राणायाम के वैज्ञानिक पक्ष के साथ-साथ इसके आध्यात्मिक पक्ष का भी ध्यान रखना चाहिए।डॉक्टर सत्येंद्र कुमार मिश्रा ने कहा कि पंच प्राणों का शरीर में महत्वपूर्ण स्थान है प्राणायाम साधना से प्राण को संतुलित किया जाता है,प्राण संतुलन से शरीर स्वस्थ रहता है,प्रतिदिन प्राणायाम के अभ्यास से वैज्ञानिक और आध्यात्मिक लाभ मिलता है।डॉक्टर सुधीर कुमार मिश्रा ने कहा कि चेतना जीवन का आधार है चेतन व्यक्ति ही अपने जीवन में विकास कर पता है,प्राणायाम के अभ्यास से व्यक्ति में चेतना का विकास होता है।