महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले ने कहा कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका में लोकतांत्रिक व्यवस्था खतरे में है। अब यह भी चिंता जताई जा रही है कि भारतीय लोकतंत्र खतरे में है और यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन रहा है।
महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले ने बुधवार को पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका से भारतीय लोकतंत्र की तुलना की और दावा किया कि यह खतरे में है और इस पर वैश्विक स्तर पर चर्चा हो रही है। पटोले ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों पर भी सवाल उठाए और कहा कि सोलापुर जिले के मारकडवाड़ी गांव में एक जन आंदोलन उभर रहा है, जहां के निवासी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) पर शक जता रहे हैं और मतपत्रों से दोबारा चुनाव कराने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ईवीएम पर शक जताने वाले और मतपत्रों से मतदान की मांग करने वाले लोगों की आवाज दबा रही है और इस मामले में कई ग्रामीणों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।
पटोले ने यह भी आरोप लगाया कि महायुति गठबंधन की जीत को लेकर शक जताने वाले लोगों की आवाज को दबाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कई शहरों और गांवों में लोगों ने महायुति की जीत और इसके बाद सरकार गठन पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका में लोकतांत्रिक व्यवस्था खतरे में है। अब यह भी चिंता जताई जा रही है कि भारतीय लोकतंत्र खतरे में है और यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन रहा है। मारकडवाड़ी की घटना केवल महाराष्ट्र तक सीमित नहीं है। उन्होंने चुनाव आयोग से अनुरोध किया कि वह जनता की इच्छाओं के अनुसार मतदान कराए।
जब उनसे पूछा गया कि क्या उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजित पवार अपने-अपने दलों को भाजपा के करीब दिखाने की कोशिश कर रहे हैं, तोत पटोले ने कहा, वे (शिंदे और पवार) अभी तक भाजपा को ठीक से नहीं समझ पाए हैं। वे धीरे-धीरे चीजों को समझेंगे। उन्हें खुश रहने दीजिए। विपक्ष के नेता के बारे में पूछे जाने पर पटोले ने कहा, महा विकास अघाड़ी के सहयोगी दल कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद चंद्र पवार) एक नाम को अंतिम रूप देंगे और उसे विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को सौंपेंगे। राज्य में 20 नवंबर 28 सदस्यीय विधानसभा के लिए चुनाव हुए थे। जिसके तीन दिन बाद 23 नवंबर को नतीजे घोषित किए गए। जिसमें सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन को 230 सीटों पर जीत हासिल हुई। जबकि विपक्षी महा विकास अघाड़ी 46 सीटों पर ही सिमट गई। इसके बाद से विपक्ष चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल उठा रहा है।