उत्तर प्रदेश की दस सीटों पर उपचुनाव को लेकर अब बस कुछ महीने और बचे हैं। मगर इससे पहले राज्य में सियासी हलचल तेज हो गई है। कारण है मंगलवार को योगी सरकार पर कथित तौर उपचुनाव वाले जिलों में यादव और मुस्लिम अधिकारियों को हटाने का आरोप। दरअसल, एक मीडिया रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि योगी सरकार उपचुनाव वाले जिलों में यादव और मुस्लिम अधिकारियों को हटा रही है। अब इसी रिपोर्ट को लेकर समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव की तीखी प्रतिक्रिया आई है। उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट कर कहा कि भाजपा सरकार चाहें जितनी शासकीय-प्रशासकीय नाटक कर ले मगर हारने से खुद को बचा नहीं सकती।
जरा आप भी देखिये X पर उनका ये पोस्ट
अपने पोस्ट में उन्होंने लिखा है कि, ‘जब उपचुनावों में भी भाजपा को हराने के लिए जनता फ़ील्ड में उतर चुकी है तो भाजपा कुछ अधिकारियों को हटाने का कितना भी शासकीय-प्रशासकीय नाटक कर ले, कोई उनको पराजय से रोक नहीं सकता. देखना ये भी है कि इनकी जगह जो अफ़सर आएंगे, उनकी निष्पक्षता पर मोहर कौन लगाएगा।’
भाजपा जन-विरोधी नहीं होती तो आज ये दिन नहीं देखने पड़ते – Akhilesh Yadav
उन्होंने अपने पोस्ट में ये दावा किया है कि भाजपा उपचुनावों में अपनी 10/10 की हार के अपमान से बचने के बहाने ढूँढ रही है। इन्होने आगे लिखा है अगर भाजपा जन-विरोधी नहीं होती तो आज ये दिन नहीं देखने पड़ते। महँगाई, बेरोज़गारी, बेकारी, पुलिस भर्ती, नीट परीक्षा, महिला-सुरक्षा, संविधान और आरक्षण की रक्षा, नज़ूल भूमि जैसे मुद्दों से लड़ने के लिए भाजपा कब और किसे नियुक्त करेगी?’ कुछ विशेष अधिकारियों को चुनावी ज़िम्मेदारी से हटाने की बात कहकर, भाजपाइयों ने ये बात स्वीकार कर ली है कि उनकी सरकार में शायद कुछ चुनावी घपले अधिकारियों के स्तर पर होते हैं. ये भाजपा की अपनी सरकार के साथ-ही-साथ चुनाव आयोग के ऊपर भी… चुनाव आयोग स्वत: संज्ञान ले।’
भाजपा के लिए जोखिम भरा है ये दाव
अब राजनीतिक जानकारों की मानें तो यह मुद्दा 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनावों के मद्देनजर काफी अहम है। लोकसभा चुनाव में हार के बाद सबकी निगाहें सीएम योगी आदित्यनाथ पर टिकी हुई हैं कि वह कैसे पार्टी को दोबारा जीत के ट्रैक पर लाएंगे। ऐसे में सीएम योगी की ये रणनीति जोखिम से भरी हुई है। संभव है कि वे गैर-यादव ओबीसी को वापस अपने पाले में लाने में सफल हो जाएं, जो लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी से दूर हो गए थे। मगर इस चाल से यादव और मुस्लिम पूरी तरह से एसपी-कांग्रेस गठबंधन के समर्थन में एक हो सकते हैं। ऐसे में अगर बीजेपी उम्मीद के मुताबिक, गैर-यादव ओबीसी को अपने पाले में करने में नाकाम रहती है, तो ये बोलना गलत नहीं होगा कि उपचुनाव का नतीजा भी लोकसभा चुनाव की तरह हो सकता है।